शनिवार, 18 फ़रवरी 2017

उठो, अपने प्यार के लिये उठो

उठो, अपने प्यार के लिये उठो
जैसे माँ उठती है,
बहो, अपने प्यार के लिये बहो
जैसे नदी बहती है,
चलो, अपने प्यार के लिये चलो
जैसे हवा चलती है,
पकड़ो, अपने प्यार को पकड़ो
जैसे बच्चे तितलियां पकड़ते हैं,
उछलो, अपने प्यार के लिये उछलो
जैसे समुन्दर उछलता है,
लिखो, अपने प्यार के लिये लिखो
जैसे चिट्ठी लिखी जाती है,
कहो, अपने प्यार के बारे में कहो
जैसे कहानी कही जाती है,
देखो, अपने प्यार को देखो
जैसे नन्हे बच्चे को देखा जाता है।
**महेश रौतेला

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